देहरादून की दस विधानसभा सीटों पर कुछ सीटें ऐसी हैं जहां भितरघात की आशंका से दिग्गजों के चेहरे पर शिकन देखने को मिली। यहीं नहीं वोटरों की खामोशी भी इस बार प्रत्याशियों के जीत-हार के गुणा-भाग को गड़बड़ा रही है। राजनीतिक पंडित भी मतदाताओं के इस खामोशी से जीत-हार का सही आंकलन नहीं कर पा रहे हैं। भाजपा को यह भी फ़ीड बैक है कि इस चुनाव में सरकारी तंत्र भी उसके खिलाफ काम कर रहा था। धरातल पर प्रशासन और पुलिस दोनों ही उसके प्रति होस्टाईल रहे हैं।