श्वेता महारा और नरेश बादशाह की प्रस्तुतियों पर झूमे दूनवासी
देहरादून : उत्तराखंड राज्य जनजातीय महोत्सव 2025 का भव्य शुभारंभ आज परेड ग्राउंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री अजय टम्टा अतिविशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। वहीं विशिष्ट अतिथियों में विधायक सविता कपूर, मेयर सौरभ थपलियाल, समाज कल्याण विभाग के सचिव नीरज खैरवाल, अपर सचिव गौरव कुमार, मुख्यमंत्री के अपर सचिव एस.एस. टोलिया, टीआरआई उत्तराखंड के समन्वयक राजीव कुमार सोलंकी और टीआरआई उत्तराखंड के अपर निदेशक योगेंद्र रावत उपस्थित रहे।
यह महोत्सव राज्य जनजातीय शोध संस्थान (टीआरआई), उत्तराखंड द्वारा आयोजित किया गया है। यह तीन दिवसीय आयोजन राज्य की विविध जनजातीय विरासत को प्रदर्शित करने वाला एक भव्य उत्सव है, जिसमें कला, शिल्प और परंपराओं की झलक देखने को मिल रही है। इसमें अरुणाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मेघालय, असम, उत्तराखंड और झारखंड सहित विभिन्न राज्यों के प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं।
इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “उत्तराखंड राज्य जनजातीय महोत्सव हमारे राज्य की समृद्ध जनजातीय संस्कृति और परंपरा का एक गौरवशाली उत्सव है। हमारी जनजातीय समुदायों ने राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अब उन्हें वह पहचान मिल रही है, जिसके वे हकदार हैं। आज सरकार बजट में उनके कल्याण के लिए विशेष प्रावधान कर रही है।
उन्होंने आगे कहा, “उत्तराखंड में हम अपनी जनजातीय आबादी के उत्थान के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं। हमने राज्य के 128 जनजातीय गांवों को चिन्हित किया है, जहां स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान दिया जा रहा है। हमारे जनजातीय छात्रों को विश्वस्तरीय शिक्षा और छात्रावास सुविधाएं प्रदान करने के लिए कालसी, चकराता, बाजपुर और खटीमा में चार एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं। इसके अलावा, तीन औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) भी कार्यरत हैं, जो युवाओं को गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं। वहीं, उन्हें सशक्त बनाने के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की निःशुल्क कोचिंग भी दी जा रही है।”
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर माणा गांव में हिमस्खलन से प्रभावित परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की।
मुख्यमंत्री धामी ने इस अवसर पर कुछ महत्वपूर्ण घोषणाएं भी करीं। उन्होंने कहा, “जनजातीय शोध संस्थान का ढाँचा स्वीकृत किया जायेगा, जिससे जनजातीय कल्याण के प्रयासों को मजबूती मिलेगी। इसके अलावा, जनजातीय युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ‘मुख्यमंत्री जनजातीय रोजगार उत्कर्ष योजना’ संचालित की जायेगी, जिसके लिए जनजातीय शोध संस्थान को प्रतिवर्ष 1 करोड की धनराशि प्रदान की जायेगी। मुख्यमंत्री धामी ने जनजातीय शोध संस्थान द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना भी करी।
इस अवसर पर ‘आदि गौरव सम्मान समारोह’ का भी आयोजन किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सुप्रसिद्ध लोकगायक गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी और प्रसिद्ध लोकगायक किशन महिपाल को सम्मानित किया।
इस महोत्सव में राज्यभर के जनजातीय कलाकारों की मनमोहक प्रस्तुतियों के साथ-साथ विभिन्न जनजातीय कलाओं और हस्तशिल्प की प्रदर्शनी भी लगाई गई है।
मुख्यमंत्री के अपर सचिव एस.एस. टोलिया ने महोत्सव के सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “यह महोत्सव केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि हमारे जनजातीय शिल्पकारों के लिए एक स्थायी आजीविका का अवसर भी है। इसके माध्यम से हम उनके कौशल को व्यापक बाजार उपलब्ध कराकर उन्हें सशक्त बना सकते हैं।”
टीआरआई उत्तराखंड के समन्वयक राजीव कुमार सोलंकी ने कहा, “उत्तराखंड राज्य जनजातीय महोत्सव हमारी जनजातीय परंपराओं को संरक्षित, संवर्धित और प्रोत्साहित करने का एक सार्थक प्रयास है। यह मंच उनकी प्रतिभा को पहचान और सराहना दिलाने के साथ-साथ उनकी कला और संस्कृति को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने में सहायक होगा।
महोत्सव के पहले दिन प्रसिद्ध अभिनेत्री श्वेता महारा ने शानदार प्रस्तुति देकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने ‘राजुला मालूशाही’, ‘फूल हजूरी’ और ‘सैयाँ जी’ जैसे प्रसिद्ध गीतों पर प्रस्तुति दी।
इसके बाद सुप्रसिद्ध लोकगायक नरेश बादशाह ने अपनी सुरीली आवाज से दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने ‘तेरी लाली’, ‘शिव कैलाशों के वासी’ और ‘दर्शनीय’ जैसे लोकप्रिय गीतों से माहौल को संगीतमय बना दिया।
महोत्सव में हजारों की संख्या में लोग पहुंचे और विभिन्न स्टॉल्स का आनंद लिया। यहां मिलेट आधारित जैविक खाद्य उत्पाद, पारंपरिक हस्तशिल्प, होम डेकोर, पारंपरिक परिधान और जूते-चप्पल उपलब्ध हैं। यह महोत्सव सभी के लिए निःशुल्क प्रवेश के साथ खुला है और 3 मार्च 2025 को संपन्न होगा।