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Saturday, November 30, 2024

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श्रमिकों के बच्चों को सीएम धामी का तोहफा

  • मोबाइल लर्निंग स्कूल वैन के जरिए बस्तियों में दी जाएगी क्वालिटी एजुकेशन
  • जन्मदिन पर दो मोबाइल वेन को सीएम धामी ने दिखाई हरी झंडी

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर भवन एवं अन्य सन्निर्माण कार्यों में कार्यरत श्रमिकों को पंजीकृत करते हुए निर्माण श्रमिकों हेतु विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री धामी के विजन के अनुरूप श्रम बोर्ड द्वारा पंजीकृत निर्माण श्रमिकों को चिन्हित करते हुए उनके बच्चो आश्रितों को मुख्य धारा से जोड़ने की दिशा में लगातार कार्य किए जा रहे हैं।
कामगार श्रमिकों के बच्चों क्वालिटी एजुकेशन प्रदान करने एवं उनके उज्जवल बनाये जाने के सम्बन्ध में मोबाईल लर्निंग स्कूल के माध्यम से शिक्षा प्रदान किये जाने हेतु 02 बसों की व्यवस्था की गई है। निर्माण श्रमिकों के बच्चों, आश्रितों, स्कूल ड्राप आउट बच्चों को निर्माण श्रमिकों के कार्यस्थल ध् निवास स्थल पर मोबाईल वेन के माध्यम से उक्त संस्थाओं द्वारा बच्चों को हिन्दी माध्यम से शिक्षा प्रदान की जायेगी तथा अन्य विषयों के साथ-साथ अंग्रेजी विषय का ज्ञान भी बच्चो को प्रदान किया जायेगा साथ ही कम्प्यूटर का ज्ञान भी मोबाईल लर्निंग स्कूल के माध्यम से बच्चो को प्रदान किया जायेगा समग्र शिक्षा अभियान के अन्तर्गत मोबाईल लर्निंग स्कूल के संचालन हेतु गढ़वाल मण्डल के जनपद देहरादून में 1 लाख 38 हजार एवं कुमाऊँ मण्डल स्थित हल्द्वानी में 40 हजार से अधिक श्रमिक पंजीकृत है। के लिए ष्सभी के लिए शिक्षा परिषद् (शिक्षा विभाग) एवं आसरा ट्रस्ट, बटरफ्लाई संस्था के माध्यम से शिक्षा प्रदान किये जाने हेतु मोबाईल लर्निंग स्कूल के संचालन की कार्यवाही बोर्ड स्तर से की जा रही है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा एवं राज्य सरकार द्वारा संचालित विभिन्न कल्याणकारी योजनायें मॉडल वेल्फयर स्कीम, शिक्षा सहायता, प्रसूति सहायता, मृत्योपरान्त, विवाहोपरान्त, प्रशिक्षण, जयानन्द भारती कौशल विकास योजना, टूल किट सहायता, साईकिल, सिलाई मशीन, छाता आदि सहायता ) बोर्ड द्वारा संचालित की जा रही है। उत्तराखण्ड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में कुल 4 लाख 69 हजार श्रमिक पंजीकृत है, जो कि विभिन्न निर्माण स्थल, रेलवे लाईन, प्रोजेक्ट साईटों पर तथा दूरस्त क्षेत्रों में कार्य कर रहें हैं जिस कारण उनके बच्चे शिक्षा ग्रहण नहीं कर पा रहें है।

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