पटना। जानीमानी अदाकारा सुष्मिता सेन अभिनीत नई ओरिजनल सीरीज, ताली- बजाऊँगीनहीं, बजवाऊँगी का प्रीमियर 15 अगस्त को जियो सिनेमा पर हो रहा है। यह सीरीज ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट श्रीगौरी सावंत के प्रेरक जीवन पर आधारित है। अर्जुन सिंह बरन और कार्तिक डी निशानदार द्वारा बनाईगई इस सीरीज की कहानी क्षितिज पटवर्धन ने लिखी है, इसका निर्देशन राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक रवि जाधव ने किया है तथा अर्जुन सिंह बरन, कार्तिक डी निशानदार (जीएसईएएमएस प्रोडक्शन) और अफीफा नाडियाडवालाइसके निर्माता हैं। इस सीरीज़ में श्रीगौरी सावंत की क्रांतिकारी कहानी और भारत में ट्रांसज़ेंडर्स को उनका हक व पहचान दिलाने के लिए उनकी लड़ाई का चित्रण है। जीवन के इस महत्वपूर्ण किरदार में ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता के रूप में सुष्मिता सेन के प्रभावशाली रूपांतर ने स्वतंत्रता दिवस पर इसकी रिलीज के लिए काफ़ी उत्सुकता पैदा कर दी है।
ताली- बजाऊँगीनहीं, बजवाऊँगीमें श्रीगौरीसावंतकेजीवनकी मुश्किलों, गणेश से गौरी में उसके साहसिक परिवर्तन और इसके कारण उससे होने वाले भेदभाव को दिखायागयाहै; इसमें माँ बनने को=आई ओर उसकी निडर यात्रा और भारत के हर आधिकारिक दस्तावेज में ट्रांसजेंडर को पहचान दिलाने और उनके समावेशन के लिये साहसी संघर्ष का चित्रण भी है। एक प्रेरणा दायक कहानी के साथ इस सीरीज में सोचने पर मजबूर कर देने वाले संवादों का सही ताल मेल बैठाया गया है। जिसे सभी को एकबार जरूर देखना चाहिए।
सेन ने ताली को लेकर पूछे गए सवाल का दिया जबाव
श्री गौरी सावंत के शक्तिशाली किरदार के बारे में सुष्मिता सेन ने बताया कि जब मुझसे पहली बार ताली के लिए पूछा गया, तो मैंने तुरंत हाँ कह दी, हालाँकि, मुझे आधिकारिक तौर पर इसमें शामिल होने में साढ़े छह महीने लग गए। मैं यह भी जानती थी की इस तरह की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी लेने के लिए मुझे इस गम्भीर विषय के बारे में अच्छी तरह पढ़कर खोजबीन करके पूरी तरह से तैयार रहना होगा। श्रीगौरी सावंत एक सराहनीय इंसान हैं, मैं उनके साथ खुद को कई पहलुओं में जुड़ा हुआ महसूस करती हूं और मैं खुद को भाग्यशाली समझती हूं कि मुझे इस सीरीज के बहाने उनके अद्भुत जीवन को जीने का एकमौका मिला है। समावेशन का रास्ता बहुत लंबा है, और मुझे यकीन है कि ताली में एक ऐसी ताकत है जो सभी की चेतना को जगा सकती है।”
श्रीगौरी सावंत ने कहा, “अपनी कहानी संवेदनशीलता के साथ पेश करने के लिए मैं ताली की पूरी टीम की आभारी हूँ। सुष्मिता सेन ने छोटे से छोटे पहलू को सही तरीक़े से पेश करने के लिए जो कोशिश की है, वह देखने और उनसे बात करने के बाद मुझे नहीं लगता कि इस किरदार के साथ कोई और न्याय कर पाता। उन्होंने मेरे सफ़र का चित्रण बहुत प्रामाणिकता के साथ किया है। मैंइस महत्वपूर्ण कहानी को दिखाने के लिए इसके निर्माताओं और इसकी पूरी टीम की आभारी हूँ। यह सफ़र सिर्फ़ मेरा नहीं है, यह मेरे लोगों और मेरे आस-पास के कई लोगों का सफ़र और कड़ी परीक्षा है, जो समाज में अपने मौलिक अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। यह शो कुछ तीखे सवाल उठाता है, जिससे उम्मीद है कि समाज में ट्रांसजेंडरों के प्रति नज़रिए में परिवर्तन आ सकता है।