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Saturday, November 23, 2024

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ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनाक कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में मोरारी बापू की राम कथा में पहुंचे 

  • मोरारी बापू की राम कथा में उपस्थित होना सम्मान और खुशी की बात : ऋषि सुनाक

देहरादून। ब्रिटिश प्रधान मंत्री ऋषि सुनाक मंगलवार को प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु मोरारी बापू की कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के परिसर में हो रही राम कथा में पहुंचे और आध्यात्मिक कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। यह एक महत्वपूर्ण पल है क्योंकि मोरारी बापू की 921वीं कथा, जो मानस विश्वविद्यालय के नाम से कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में आयोजित की गई है, पहला ऐसा हिन्दू कार्यक्रम है जो की एक ब्रिटिश विश्वविद्यालय के प्रांगण में किया गया हो। हिंदू धर्म के अनुयायी और ब्रिटेन के भारतीय मूल के पहले प्रधान मंत्री, ऋषि सुनाक ने मोरारी बापू की व्यास पीठ पर पुष्पांजलि अर्पित की और साथ ही जय सिया राम का जयकारा भी लगाया।
अपने भाषण की शुरुआत करते हुए, प्रधान मंत्री ऋषि सुनाक ने कहा, “भारतीय स्वतंत्रता दिवस पर कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में मोरारी बापू की राम कथा में आज उपस्थित होना वास्तव में सम्मान और खुशी की बात है। बापू, मैं आज यहां एक प्रधान मंत्री के रूप में नहीं बल्कि एक हिंदू के रूप में आया हूं! मेरे लिए आस्था व्यक्तिगत विषय है। यह मेरे जीवन के हर पहलू में मेरा मार्गदर्शन करता है। प्रधान मंत्री बनना एक बड़ा सम्मान है, लेकिन यह कोई सरल काम नहीं है। हमें कठिन निर्णय लेने होते हैं और मुश्किल विकल्पों का सामना करना पड़ता है, मगर  आस्था मुझे अपने देश के लिए सर्वश्रेष्ठ करने के लिए साहस और शक्ति प्रदान करता है।” उन्होंने कहा कि मेरे लिए, जब मैं चांसलर था तब 11 डाउनिंग स्ट्रीट के बाहर दिवाली के मौके पर दीये जलाना एक अद्भुत और विशेष क्षण था। व्यासपीठ के पीछे हनुमान जी की छवि पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, “जैसे बापू की पृष्ठभूमि में एक सुनहरे हनुमान हैं, मुझे गर्व है कि 10 डाउनिंग स्ट्रीट में मेरी मेज पर एक सुनहरे गणेश हमेशा प्रसन्नतापूर्वक विराजते हैं। किसी भी मुद्दे पर कार्रवाई करने से पहले उन पर ठीक से सोच विचार करने के बारे में वह मुझे हमेशा याद दिलाते हैं।” ऋषि सुनाक ने कहा कि उन्हें ब्रिटिश होने पर और हिंदू होने पर गर्व है। उन्होंने सॉउथम्पटन में अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए कहा कि वह अपने भाईबहनों के साथ मंदिर जाते और अपने परिवार के सदस्यों के साथ हवन, पूजा, आरती और प्रसाद वितरण जैसे अनुष्ठानों में भाग लेते थे।

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